जयसिंहनगर जनपद में कागजों में चल रही फर्में
ठेंगरहा पंचायत में लगे लाखों के बिल, गायब हुई फर्म
शहडोल। ग्राम पंचायतो में मनरेगा तथा अन्य योजनाये जो संचालित हो रही थी उनके निर्माण कार्यो के लिये मटेरियल खरीदी की गई, जिसमें फर्जी बैंडरो के नाम राशि का भुगतान किया गया, अधिकांश बैंडर इस प्रकार बने हुये है, जिनके पास मटेरियल के नाम पर कुछ भी नही है, लेकिन उनके नाम से गिट्टी, पत्थर, रेत, मुरम, लोहा, इलेक्ट्रानिक्स सहित सभी आवश्यक वस्तुये खरीदने के फर्जी बिल लगाये गये है, सरपंच, सचिव, उपयंत्रियों के परिचित रिश्तेदारो कर्मचारियो के नाम से फर्म बनाकर मटेरियल खरीदी की गई है तथा उनके खातो में राशि भेज कर भारी बंदरबांट किया गया है, सूत्रों की माने तो जयसिंहनगर जनपद पंचायत की ग्राम पंचायतों में भारी फर्जी वाडा किया गया, वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में राशि सिर्फ कागजोंं पर ही वैंडरों के नाम आहरित की गई है।
क्वालिटी और क्वांटिटी का खेल
बिजली के बगैर शायद ही कोई काम हो सके, जयसिंहनगर जनपद में लगभग सभी पंचायत में लाखों रुपये के बिल विद्युत सामग्री के नाम पर निकाले गये, पंचायत में विद्युत सामग्री का मूल्याकंन भी इंजीनियर द्वारा कर दिया गया, लेकिन जमीनी स्तर पर जितने के बिल पंचायत द्वारा लगाये गये उतनी सामग्री और जिस क्वालिटी के हिसाब से भुगतान किया गया, वह भी पंचायत में देखने को नहीं मिल रही, अगर सामग्री की गुणवत्ता की जांच वरिष्ठों द्वारा की जाये तो दूध का दूध और कमीशन का कमीशन अलग हो जायेगा।
सत्यापन से सामने होगी हकीकत
पंचायत से लेकर जनपद के जिम्मेदार अधिकारी उक्त बडे घोटाला में शामिल है, यदि उक्त मामले की जांच गंभीरता से कराई जाये तो जयसिंहनगर में बड़ा घोटाला प्रकाश में आ सकता है क्योंकि जमीन पर कार्य नही हुए और लाखों की राशि आहरित हो गई है, कूप निर्माण, शौचालय निर्माण, खेल मैदान, श्मशान घाट, शांति धाम, बिजली फिटिंग सहित सुरक्षा दीवाल आदि के नाम पर राशि आहरित की गई है यदि उक्त कार्यो का भौतिक सत्यापन किया जाये तो असलियत सामने आ जायेगी।
हर स्तर पर भ्रष्टाचार का खेल
कमीशन के खेल में इस कदर ठेंगरहा पंचायत उलझी हुई है कि सरपंच, रोजगार सहायक, इंजीनियर की मिली भगत से फिटिंग के नाम पर लीपा पोती की गई है। दिव्यांग इलेक्ट्रानिक की दुकान से लेकर फर्म द्वारा लगे हुए बिल की में भ्रष्टाचार हुआ है। सूत्र बताते है कि पूरा भ्रष्टाचार कमीशन से जुड़ा हुआ है फिर भला अच्छे काम की उम्मीद करना भी बेमानी होगी, लोगों का कहना है कि दिव्यांश नामक फर्म द्वारा उसी पंचायत में सामग्री सप्लाई की जिस जगह इंजीनियर साहब ने कहा और जहां सचिव और रोजगार सहायक ने लेने से मना किया, वहां पर इंजीनियर साहब ने उनके मूल्यांकन में रोड़ा अटका दिया।
इनका कहना है…
जब इस संबंध में उपयंत्री से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन बंद मिला।