अरे काशी तूने कर दिया कमाल,काले हीरे से हर माह लाखों का जुगाड़

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अरे काशी तूने कर दिया कमाल,

काले हीरे को निब्बू लगाकर

बना दिया टिशू पेपर

(शुभम तिवारी)

शहडोल। किसी की पॉकेट नहीं मारी, किसी से रुपए रिश्वत में नहीं मांगें,लिए भी तो इस तरह की किसी को नुकसान नहीं हुआ, बल्कि देने वाले का भी काम बन गया और लेने वाले का भी काम बन गया , हालांकि यह दस्तूर आज का नहीं सालों पुराना है, बस उस दस्तूर को थोड़ा सा मांग और पूर्ति के सिद्धांत के हिसाब से अपडेट कर लिया गया है।

कुछ साल रहकर साहिब तो अगले टारगेट के साथ किसी अगले स्थान पर चले जाएंगे, जो ऐसी तैसी होगी वह मालिक की होगी, हमें तो सिर्फ टारगेट से मतलब है, ठेके पर आए हैं और ठेका पूरा करके, मुनाफा कमा के अपनी जेब में भर के चले जाएंगे।

मालिक की सालों पुरानी वफादार मशीने इससे चिढ़ती है उन मशीनों का कहना हैं कि इस तरह खराब कोयले के डालने से वे जल्दी बूढी हो जाएंगी,मशीनों की विश्वशनीयता व इमेज का भी सवाल है,पर काशी को इससे कोई मतलब नहीं…उन्होंने आते ही कहा…अभी तो सब ठीक है न…एक नही पूरे बायलर खराब होती है तो हो जाए,अगर हमारे समय में खराब होगा तो मरम्मत करवा देंगे बस…… इतना कहकर टिशू पेपर से चेहरे पर लगी कोयले की गर्द को साफ कर लिया…. साहब को क्या लेना देना, जब किसी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता तो,वैसे भी बिना मतलब के सोशल मीडिया में खबर बनाकर वायरल होने से भी शायद कुछ नहीं होता,जब तक चेहरे को पूरा नकाब से बाहर कर के उसपर कालिख न पोती जाए तब तक साहब कोयले की कालिख को टिशू पेपर से साफ करते रहेंगे,मांगेगे नहीं

कहते हैं ना एक झूठ बोलने से यदि दर्जनों लोगों का भला हो जाए तो वह झूठ भी सही है, बस इसी सिस्टम को आज काशी अपनाकर इनका भी का सिस्टम भी चल नहीं बल्कि दौड़ रहा है, ठेका हर बार उसी को दिया जिसे पहले के लोग देते थे, पुरानी डायरी को थोड़ा अपडेट किया थोड़ा सा अपना जुगाड़ बढ़ाया, इतने जुगाड़ में महीने के पांच से सात लाख रूपए अलग से बच जाते हैं तो बुरे क्या है…..

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