मध्य प्रदेश में मोहन सरकार की नई पहल : CM के TOP 10 IPS हर संभाग में नियुक्त,शहडोल का जिम्मा योगेश मुदगल को

0

(शुभम तिवारी)शहडोल।आईएएस अफसरों के बाद आईपीएस अफसरों को भी संभाग की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। जिन आईपीएस अफसरों को नई जिम्मेदारी दी गई है, वे सभी एडीजी स्तर के अफसर हैं। भोपाल संभाग का जिम्मा एडीजी प्रशासन विजय कटारिया को सौंपा गया है। एक दिन पहले अपर मुख्य सचिव स्तर के दस अफसरों को संभागों का प्रभार सौंपा गया था। अब बीस आईएएस और आईपीएस अफसर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आंख-कान होंगे।

प्रभार वाले अफसर और संभाग

विजय कटारिया(भोपाल),आलोक रंजन(नर्मदापुरम),प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव(ग्वालियर),योगेश मुदगल(शहडोल),पवन श्रीवास्तव(चबल),अनिल कुमार(रीवा),संजीव शमी(सागर),चंचल शेखर(जबलपुर)जयदीप प्रसाद(इंदौर),योगेश देशमुख को उज्जैन संभाग का प्रभार सौंपा गया है।

एडीजी स्तर के अफसरों को संभाग का प्रभार देने संबंधी आदेश शनिवार को गृह विभाग ने जारी कर दिया है। एडीजी स्तर के अफसरों का काम मुख्यमंत्री द्वारा ली जा रही बैठकों में कानून व्यवस्था एवं पुलिस के कार्यों से संबंधित दिए गए निर्देशों का पालन कराना होगा। सीएम ने तय किया कि वे संभाग वार विकास कार्यों और कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करेंगे। एडीजी स्तर के अधिकारी भी सीएम की संभाग स्तरीय बैठकों में अनिवार्य रूप से मौजूद रहेंगे। कानून व्यवस्था के अलावा पुलिस से जुड़े सीएम के अन्य निर्देशों का पालन कराना भी संभाग प्रभारियों की जिम्मेदारी होगी। जिलों में यदि कोई मुद्दा पीएचक्यू से जुड़ा है, तो उसका निराकरण कराने के लिए उस मुद्दे को डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना के संज्ञान में लाने की जिम्मेदारी भी तैनात किए गए अफसर निभाएंगे। सभी अफसरों को दो माह में कम से कम एक बार संभाग के जिलों का भ्रमण करना होगा। उसके अलावा हर महीने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पुलिस के कार्यों की समीक्षा करना होगा। कानून व्यवस्था, त्योहार और अन्य आयोजनों के संबंध में पुलिस की तैयारियों की समीक्षा भी संभागीय प्रभारी करेंगे।अनियमित एवं अनियंत्रित ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर प्रतिबंध की समीक्षा, कार्यवाहक व्यवस्था व समयमान वेतनमान प्रदान करने की समीक्षा भी एडीजी करेंगे। प्रत्येक जिले में पुलिस बैंड का गठन होगा। यह निर्देश मुख्यमंत्री ने पीएचक्यू की बैठक में दिए हैं। अब इसे लागू कराने का जिम्मा भी एडीजी स्तर के अफसरों का होगा। आदतन अपराधियों के जमानत निरस्त कराने के बारे में समीक्षा कर इस बारे में निर्णय भी लेना होगा। जघन्य और चिन्हित अपराधों में पीएचक्यू के निर्देश का जिलों में पालन कराना भी एडीजी स्तर के अफसरों का काम होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed