अवैध रेत खनन और खत्म होती सोन नदी के साफ नजर आती कर्णधारों की विवशता
अनुपपुर। पूरे जिले में रेता ठेका कंपनी कॉमर्स एसोसिएट्स नदियों का सीना छलनी कर रही है, अब तो खुलेआम पनडुब्बी और दिन दहाड़े जल भराव के क्षेत्र में पोकलेन मशीनें और हाईवा बीच नदी में पानी रोककर बनाई गई सड़कों से पहुंचकर रेत निकाल रही है,इन अवैध खनन के live video तक को कलेक्टर अनूपपुर हर्षल पंचोली और उनके अधीन खनिज अमला कोई बड़ी कार्यवाही करने से परहेज कर रहा है, जिले खासकर अनूपपुर विधानसभा के chachai आबाद और मुख्यालय के मानपुर क्षेत्र में इस मामले को लेकर कलेक्टर और खनिज अमले से अधिक उन तीन कर्णधारों की किरकिरी और चर्चा हो रही है,जो विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी है और इस खनिज माफिया ने तीनों गुटों को कभी न कभी चोट भी पहुंचाने में परहेज नहीं की,फिर क्या तीनों गुट चांदी के चम्मचों के कारण मौन हो चुके है।
वोट बैंक की मजबूरी में मौन रामलाल का गुट
जिस समय प्रदेश में कमलनाथ की सरकार बनी और बिसाहुलाल कांग्रेस से विधायक बनने के बाद भाजपा में शामिल हो गए, बगावत कर इस्तीफ़ा दिया और रामलाल की टिकट हथिया कर बीजेपी की टिकट से अनूपपुर विधानसभा में चुनाव लड़ने उतरे,इस दौरान टिकट कटने से राजनैतिक हाशिए पर जा चुके रामलाल के इर्द गिर्द घेरा बनाकर 24 घंटे रहने वाला यह खनन माफिया आर्थिक फायदे के लिए कैबिनेट मंत्री की चरण पादुकाएं सर पर रखकर घूमता नजर आ रहा था, रामलाल इन्हीं कारणों से लंबे समय तक अज्ञातवास में चले गए थे, मंत्री की चारपादुकाओं के नीचे ही चचाई आबाद सोन रेत खदान में करोड़ों के अवैध खनन की फाइल दब गई,जो आज भी जांच के इंतजार में है,तब से जब रामलाल को दोबारा शिवराज सरकार ने जब तक कैबिनेट मंत्री का दर्जा नहीं दे दिया तब तक खनन माफिया उनकी छाया तक से परहेज करता रहा,आज बिसाहू के डूबते जहाज का मूल्यांकन कर दोबारा रामलाल के इर्द गिर्द घेरा बनाया जा रहा है ताकि भविष्य में अवैध खनन पर आँच न आए।
विधानसभा का एहसान उतार रहे रमेश
बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष और अनूपपुर विधानसभा प्रत्याशी रमेश सिंह की और भी बीजेपी और कांग्रेस के कार्यकर्ता आशा भरी निगाहों से टकटकी लगाए हुए है, कि कब कांग्रेस विपक्ष की जिम्मेदारी निभाएगी….या निभाएगी भी नहीं,
रमेश सिंह फिलहाल बीते विधानसभा चुनाव के दौरान खुलेआम बिसाहुलाल और भाजपा के विरोध में उतर कर तन मन और धन से मदद कर रहे खनन माफिया का शायद कर्ज उतार रहे है, उन्हें आशा है कि पूर्व की तरह आने वाले विधानसभा चुनाव में उन्हें फिर टिकट मिल सकती है और खनन माफिया रामलाल या बीजेपी के अन्य प्रत्याशी के खिलाफ उनकी फिर मदद कर सकता है, उन्हें न तो 2019 और उसके पहले के सभी चुनाव याद है जिसमे कांग्रेस की खिलाफत खुल कर की गई,हालांकि यह खिलाफत रमेश सिंह की न होकर पार्टी की थी,शायद इसलिए वह खिलाफत कांग्रेस के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को तो याद है लेकिन रमेश सिंह पूर्व प्रशासनिक अधिकारी को नहीं,इस मामले में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष शायद अभी तक इस मुगालते में है कि आगामी चुनावो में उन्हें ही टिकट मिलेगी, यदि टिकट मिल भी जाती है तो खनन माफिया रामलाल को छोड़ कर उन्हें समर्थन करेगा,जो अभी रामलाल की पादुकाओं को सर माथे पर रखकर घूम रहा है।
डूबती नैय्या-पूर्व विधानसभा चुनाव भूलकर,समेटने में बिसाहू गुट
अनूपपुर की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले बिसाहुलाल सिंह वर्तमान में लगभग अज्ञातवास वाली स्थिति से गुजर रहे है,उन्हें बीते चुनावो में मिली जीत और विधायक की कुर्सी से अधिक खुद और परिजनों के राजनैतिक भविष्य की डूबती नैय्या का छोभ सता रहा है, यही कारण है कि सिर्फ कैबिनेट मंत्री रहने के दौरान एक बार खनन माफिया का चुनावों में लाभ ले पाने वाले वर्तमान विधायक बिसाहुलाल सब कुछ भूल कर सिर्फ समेटने के फेर में मौन बैठे है, उनकी विधानसभा में एक नहीं तीन से चार स्थानों पर कांग्रेस और भाजपा के उनके दर्जनों समर्पित साथी कार्यकर्ता अवैध खनन को लेकर विरोध में है,पर यह आवाज परासी तक नहीं पहुंच रही है, अपने लंबे राजनैतिक जीवन में बिसाहुलाल की यह पहचान रही है कि उन्होंने कभी अपने विरोधियों को नहीं बक्शा, अपनी खुन्नस मिटाने एवं विरोधियों को निपटाने के लिए बिसाहू ने कभी भी अपने लाभ या हानि की नहीं सोची, भूपेंद्र सिंह से लेकर स्व.अशोक तिवारी और अनूपपुर का त्रिपाठी परिवार व पसान के राजू गुप्ता जैसे दर्जनों नाम इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है, बहरहाल बिसाहू शायद बीता विधानसभा चुनाव और चचाई आबाद रेत खदान के जुर्माने की फाइल समेटने के फेर में भूल चुके है,शायद बिसाहू लाल ने अपने अंतिम पारी को भांप कर विरोधियों को जड़ से निपटाने की अपना दांव,जो उनकी पहचान थी उसे भी पीछे छोड़ दिया है, उन्हें यह भान ही नहीं की उनका यही दांव और अभिमान उनकी पहचान थी ,जिसे त्यागने के बाद अब एक एक कर उनके सभी करीबी राम लाल के इर्द गिर्द खड़े नजर आ रहे है,जिसमें खनन माफिया सबसे आगे है………
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